Saturday, January 20, 2018

Dekh Tamasha Bhaiyya

शहर चौक पे खड़े हैं भैया,
देख रहे तमाशा
हर दिन नई कॉंट्रोवर्सी है, 
कभी पद्मावत, कभी गैया...
देश विकास के बूट पहन कर,
ताके विदेशी परीयाँ,
बीटकोइन-विटकोइन खेल लिए,
पर फिर भी सुस्त रुपैया...
जात-पात और धर्म की केंडी
क्रश कर, खेले खेला,
नेताओं और अफसरों ने लगाया,
कम्यूनिसम का मेला...
गाँव में बैठा, कुशल मुरारी,
स्टार्ट-उप का बाम लगाए,
झंडू के बदले सरकारी फाइलें,
नाम झंड दिखलाएँ...
हाथ की सुनो, कमल की या सुन लें झाड़ू वाले की,
हर माइक पे भाषण देते, उम्मीदों वाले दीमक,
रात को पार्टियाँ पार्टी करे,
यहाँ जले ना घर में दीपक...
ओ मेरे भाई तू भालू है,
या डमरू पे नाचता बंदर,
तेरे पैसों से ही हो रिया,
कंट्री भर में ब्लंडर...
जाग रे चिंगारी है तू,
पार हो देश की नैय्या,
या फिर यू मूक बने रह,
देख तमाशा भैया...
शहर चौक पे खड़े हैं भैया,
देख रहे तमाशा,
हर दिन नई कॉंट्रोवर्सी है,
कभी पद्मावत, कभी गैया...

Monday, April 11, 2016

Khwaabon se ojhal aankhein

ख्वाबों से ओझल आँखें खुली, सवेरा धुँधला नज़र आया, राहों पर चलते-चलते, हमराह नज़र आया... झाँके जो कोई दिल में मेरे इक बार गौर से, बेशक उसे हर आईना गुमराह नज़र आया... हां है इश्क़, मोहब्बत, प्यार नाम जिस जुर्म के, उस जुर्म का मैं गुनेहगार लगातार नज़र आया... उसकी आँखों में नूर देखता हू हररोज़ इबादत की तरह, शायद उस नूर में मुझे मेरा खुदा नज़र आया... रिश्ते होते हैं कुछ जन्मो-जन्म के बंधन, पर इसमे तो मै ज़िंदगी की हर क़ैद से रिहा नज़र आया... तेरे होने से गुलशन है काँटों सी ज़िंदगी पर, तू ना हो तो बग़ीचो में हरदम पतझड़ नज़र आया... बाहों में लेकर तुझे छुपा लूँ इस दुनिया से, हर रात सत्यव्रत, ये ख्वाब नज़र आया... ख्वाबों से ओझल आँखें खुली, सवेरा धुँधला नज़र आया, राहों पर चलते-चलते, हमराह नज़र आया...

Tuesday, April 5, 2016

Umr Badhegi, Bachpana Bhi

उम्र बढ़ेगी, 
बचपना भी, 
                 तजुर्बा बढ़ेगा, 
                 उमंगें भी,
आजमईशें बढ़ेंगी, 
अरमान भी, 
                पैर बढ़ेंगे, 
               चादर भी, 
धोखे बढ़ेंगे, 
दिल भी, 
               प्यार बढ़ेगा, 
               शान भी, 
मंज़िलें बढ़ेंगी, 
कदम भी, 
              दुःख बढ़ेंगे, 
             ताकत भी, 
यादें बढ़ेंगी, 
आँसू भी, 
            ग़म बढ़ेंगे, 
            मुस्कानें भी, 
फ़िक्रें बढ़ेंगी, 
बेफिक्री भी, 
            मस्तियाँ बढ़ेंगी, 
            मनमर्ज़ियाँ भी, 
दोस्ती बढ़ेगी,
नशा भी, 
           मन्नतें बढ़ेंगी, 
           उम्मीदें भी, 
इश्क़ बढ़ेगा, 
दीवानगी भी, 
           आस्मा बढ़ेगा, 
           उड़ानें भी, 
पर बढ़ेंगे, 
हौसला भी,
           उम्र बढ़ेगी, 
           नादानियाँ भी, 
उम्र बढ़ेगी, 
बचपना भी! 


Tuesday, March 8, 2016

Ehsaas bhi kahaani hai

एहसास भी कहानी है,
उमंग भी कहानी है,
कभी कही नहीं गयी जो,
वो भी क्या कहानी है?

नज़्म  आरज़ूओं की,
नफ़्ज़ में समायी है,
न जिसपे वाह-वाह हो,
वो नज़्म ही क्या सुनाई है?

ग़ज़ल एक सीने में,
साँसों ने बनायी है,
न सांस रोक दे किसीकी,
वो ग़ज़ल ही क्या बनायीं है?


Sunday, November 8, 2015

Tasbeeh mein aapki yaad

Tasbeeh mein aapki yaadon ko piro ke rakhkha hai
aapke jaane ke baad aapka naam khuda rakhkha hai

moorat to nahi hai ghar mein par tasveer to hai kahi
log kehte hain maine andar ka naastik jala rakhkha hai

Dhuan uthta hai jalte huye dil se aksar
ghutan ne apni hatheli par aapka ittr daba rakhkha hai

sochta hu ki na hoke bhi aapka ehsaas zaroor hai
aayine mein dekhu to mujhme bhi aapka aks rakhkha hai

kal jab gaya tha apne gaanv ki purani galiyon mein kahi
logon ne ab bhi aapke naam se mera vajood jod rakhkha hai

zamaane beet jayenge, nasamjhi ki jeet hogi
aap to jaante hi hain ki humne apna naam sabr rakhkha hai


Monday, November 2, 2015

पूछो पूछो

पूछो पूछो क्या माजरा है
आदमी-गैय्या दोनों लाचार है

पूछो पूछो किसका दबाव है
खाने में क्या है - कोई सुझाव है?

मैग्गी बैन है पोर्न भी न है
मुफ्त इंटरनेट का होप भी न है

बीफ न खाइयो, allowed नहीं है
पाक का कोई इण्डिया में allowed नहीं है

रास्तो पर ट्रैफिक का जाम लगा है
भीड़ में एक ठग को ठग ने ठगा है

पूछो पूछो क्या माजरा है
पढ़ा-लिखा MBA भी घूमे आवारा है

लेखक खुद को काट रहा है
खुद ही के लिखाव को छांट रहा है

डॉक्टर की भी कुछ लाचारी है
शायद उसे भी पैसों वाली बीमारी है

सर्विस वाला खुद ही को कुत्ता बता रहा है
और उल्टा आवारा कुत्ते से आपत्ति जता रहा है

पूछो पूछो क्या माजरा है
ताज वाला नहीं, अब pollution वाला आगरा है

मीडिया क्या न्यूज़ बना रही है
रुको, शायद खुद बुंन रही है

जनता बेहरी होकर भी ये
सारा तमाशा सुन रही है

किसीको चांटा तो किसी पर कालिक पूत रही है
काली हथेलोयों वाली पब्लिक कहाँ घूम रही है

खबरें भी आजकल कठपुतलियां हुयी जाती हैं
जो डोर खींचे उसकी हुयी जाती हैं

रेप पर रेप होते जा रहे हैं
पुलिस की छड़ी के नीचे शिकार ही शर्मा रहे हैं

आज़ादी मिली पर  कैसी, न्याय तो न हो पाया
मुल्क का सही पर सोच का बटवारा न हो पाया

पूछो पूछो क्या माजरा है
पूछो पूछो क्या माजरा है.


Tuesday, October 6, 2015

Main tumse fir shaadi karna chahta hu...

It's been more than 3 years since I married the love of my life, Meera and these years have been like magic, you feel you've been through everything yet you feel you've just opened the jar of romance. But the fact remains that three years down the line, I feel I've missed a lot of things that I would have loved to share side-by-side with my wife. A whole new set of pre-wedding and wedding photoshoot is one of them, a brand new re-honeymoon is another (this time at an exotic location and for more number of days) and there's a lot more I want to do. Here's a bucket list, written in my own, favourite poetic style.

Ek baar fir tumhe pehli baar dekhna chahta hu
tumhaari sooni aankhon mein intezaar dekhna chahta hu

Dosti ki khatti-meethi baaton se kab chatpata pyaar ho gaya
wo lamhein fir se jeena chahta hu

wo chhat par akele baatein karna, haste huye labon ko sanvaarna,
tumhari befikri ko ek baar fir dekhna chahta hu

yu kabhi chup-chup ke bin bataye anjaan shehar tak sair karna
us ishqaani hawaa ko fir choona chahta hu

haathon mein haath liye bhaagey they bheegtey huye jis shaam
us baarish ki thandi boondon mein fir nahana chahta hu

wo tang mohabbat ki raahein, judaaiyaan, akelapan aur tumse milne ki tadap
ye saare ehsaas tumhaare saath jeena chahta hu

wo saanson ka rukna aur haathon ka kasna, darr ke saaye mein din bhar rehna
wo manzar kitne hi kharaab they, par fir bhi fir se jeena chahta hu

shaadi se pehle ki wo andhiyaari raat, subha ka aanchal thaame huye soye hum,
us beinteha khumaar ka pyaala fir peena chahta hu

aur hanste-huye fere lena, aur shaadi ke baad engagement karna
wo utsukta fir mehsoos karna chahta hu...
main tumse fir shaadi karna chahta hu...