ख्वाबों से ओझल आँखें खुली, सवेरा धुँधला नज़र आया,
राहों पर चलते-चलते, हमराह नज़र आया...
झाँके जो कोई दिल में मेरे इक बार गौर से,
बेशक उसे हर आईना गुमराह नज़र आया...
हां है इश्क़, मोहब्बत, प्यार नाम जिस जुर्म के,
उस जुर्म का मैं गुनेहगार लगातार नज़र आया...
उसकी आँखों में नूर देखता हू हररोज़ इबादत की तरह,
शायद उस नूर में मुझे मेरा खुदा नज़र आया...
रिश्ते होते हैं कुछ जन्मो-जन्म के बंधन,
पर इसमे तो मै ज़िंदगी की हर क़ैद से रिहा नज़र आया...
तेरे होने से गुलशन है काँटों सी ज़िंदगी पर,
तू ना हो तो बग़ीचो में हरदम पतझड़ नज़र आया...
बाहों में लेकर तुझे छुपा लूँ इस दुनिया से,
हर रात सत्यव्रत, ये ख्वाब नज़र आया...
ख्वाबों से ओझल आँखें खुली, सवेरा धुँधला नज़र आया,
राहों पर चलते-चलते, हमराह नज़र आया...
Its the best communication medium to ever enchant the world. Silence is what we were born with, it is what we will die with. It'll go with us till eternity and it echoes uptill infinity. I prefer silence, though my words, written, not uttered..will speak for me and my silent pride.
Monday, April 11, 2016
Tuesday, April 5, 2016
Umr Badhegi, Bachpana Bhi
उम्र बढ़ेगी,
बचपना भी,
तजुर्बा बढ़ेगा,
उमंगें भी,
आजमईशें बढ़ेंगी,
अरमान भी,
पैर बढ़ेंगे,
चादर भी,
धोखे बढ़ेंगे,
दिल भी,
प्यार बढ़ेगा,
शान भी,
मंज़िलें बढ़ेंगी,
कदम भी,
दुःख बढ़ेंगे,
ताकत भी,
यादें बढ़ेंगी,
आँसू भी,
ग़म बढ़ेंगे,
मुस्कानें भी,
फ़िक्रें बढ़ेंगी,
बेफिक्री भी,
मस्तियाँ बढ़ेंगी,
मनमर्ज़ियाँ भी,
दोस्ती बढ़ेगी,
नशा भी,
मन्नतें बढ़ेंगी,
उम्मीदें भी,
इश्क़ बढ़ेगा,
दीवानगी भी,
आस्मा बढ़ेगा,
उड़ानें भी,
पर बढ़ेंगे,
हौसला भी,
उम्र बढ़ेगी,
नादानियाँ भी,
उम्र बढ़ेगी,
बचपना भी!
Tuesday, March 8, 2016
Ehsaas bhi kahaani hai
एहसास भी कहानी है,
उमंग भी कहानी है,
कभी कही नहीं गयी जो,
वो भी क्या कहानी है?
नज़्म आरज़ूओं की,
नफ़्ज़ में समायी है,
न जिसपे वाह-वाह हो,
वो नज़्म ही क्या सुनाई है?
ग़ज़ल एक सीने में,
साँसों ने बनायी है,
न सांस रोक दे किसीकी,
वो ग़ज़ल ही क्या बनायीं है?
उमंग भी कहानी है,
कभी कही नहीं गयी जो,
वो भी क्या कहानी है?
नज़्म आरज़ूओं की,
नफ़्ज़ में समायी है,
न जिसपे वाह-वाह हो,
वो नज़्म ही क्या सुनाई है?
ग़ज़ल एक सीने में,
साँसों ने बनायी है,
न सांस रोक दे किसीकी,
वो ग़ज़ल ही क्या बनायीं है?
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