मिश्रित एहसास
रिस रही है चेहरे से शर्म इस कदर
के ऊपर देखता हु तो खुद को नीचा पाता हु
छु रही है दिल को किसीकी मेहर इस कदर
के बटुवे के नोटों को भी बोझ पाता हु
आ रहीं हैं खुशियों की आवाजें इस कदर
के गूंजे भी कोई ग़म तो मुस्कुरा जाता हु
दिला रहीं हैं उनकी बातें सुकून इस कदर
के तकिये को फेंक उसकी बाहों में चला आता हु
रुला रहीं हैं पुराणी बातों की सिलवटें इस कदर
के सपनों की चादर से कुछ ख्वाब बुला लेता हु
मिल रहीं है अब तमन्नाओं को उड़ान इस कदर
के अक्सर पैरों को परों के नाम से पुकार लेता हु
रिस रही है चेहरे से शर्म इस कदर
के ऊपर देखता हु तो खुद को नीचा पाता हु
छु रही है दिल को किसीकी मेहर इस कदर
के बटुवे के नोटों को भी बोझ पाता हु
आ रहीं हैं खुशियों की आवाजें इस कदर
के गूंजे भी कोई ग़म तो मुस्कुरा जाता हु
दिला रहीं हैं उनकी बातें सुकून इस कदर
के तकिये को फेंक उसकी बाहों में चला आता हु
रुला रहीं हैं पुराणी बातों की सिलवटें इस कदर
के सपनों की चादर से कुछ ख्वाब बुला लेता हु
मिल रहीं है अब तमन्नाओं को उड़ान इस कदर
के अक्सर पैरों को परों के नाम से पुकार लेता हु
man this is genius's work
ReplyDeletethanks!
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