Wednesday, October 17, 2012

मिश्रित एहसास : Mixed Feelings

मिश्रित एहसास 

रिस रही है चेहरे से शर्म इस कदर 
के ऊपर देखता हु तो खुद को नीचा  पाता हु 

छु रही है दिल को किसीकी मेहर इस कदर 
के बटुवे के नोटों को भी बोझ पाता  हु 

आ रहीं हैं खुशियों की आवाजें इस कदर 
के गूंजे भी कोई ग़म तो मुस्कुरा जाता हु 

दिला रहीं हैं उनकी बातें सुकून इस कदर 
के तकिये को फेंक उसकी बाहों में चला आता हु 

रुला रहीं हैं पुराणी बातों की सिलवटें इस कदर 
के सपनों की चादर से कुछ ख्वाब बुला लेता हु 

मिल रहीं है अब तमन्नाओं को उड़ान इस कदर 
के अक्सर पैरों को परों के नाम से पुकार लेता हु 

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