Saturday, January 20, 2018

Dekh Tamasha Bhaiyya

शहर चौक पे खड़े हैं भैया,
देख रहे तमाशा
हर दिन नई कॉंट्रोवर्सी है, 
कभी पद्मावत, कभी गैया...
देश विकास के बूट पहन कर,
ताके विदेशी परीयाँ,
बीटकोइन-विटकोइन खेल लिए,
पर फिर भी सुस्त रुपैया...
जात-पात और धर्म की केंडी
क्रश कर, खेले खेला,
नेताओं और अफसरों ने लगाया,
कम्यूनिसम का मेला...
गाँव में बैठा, कुशल मुरारी,
स्टार्ट-उप का बाम लगाए,
झंडू के बदले सरकारी फाइलें,
नाम झंड दिखलाएँ...
हाथ की सुनो, कमल की या सुन लें झाड़ू वाले की,
हर माइक पे भाषण देते, उम्मीदों वाले दीमक,
रात को पार्टियाँ पार्टी करे,
यहाँ जले ना घर में दीपक...
ओ मेरे भाई तू भालू है,
या डमरू पे नाचता बंदर,
तेरे पैसों से ही हो रिया,
कंट्री भर में ब्लंडर...
जाग रे चिंगारी है तू,
पार हो देश की नैय्या,
या फिर यू मूक बने रह,
देख तमाशा भैया...
शहर चौक पे खड़े हैं भैया,
देख रहे तमाशा,
हर दिन नई कॉंट्रोवर्सी है,
कभी पद्मावत, कभी गैया...

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